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जनता को भ्रमित किया जा रहा है कि सरकारी टीचर गरीब को शिक्षा दे रहे हैं, जबकि वे गरीब बच्चे का फेल होना सुनिश्चित कर रहे होते हैं। सरकारी राजस्व इस शिक्षा माफिया को पालने में खर्च हो जाता है। अधिकतर राज्यों द्वारा वसूल की गई वैट की पूरी राशि केवल सरकारी टीचरों को वेतन देने में समाप्त हो जाती है। परिणाम होता है कि गरीब को न सड़क मिल रही है, न पढ़ाई। मिड-डे मील समेत संपूर्ण सरकारी शिक्षा तंत्र को भंग कर देना चाहिए और हर बच्चे को वाउचर देना चाहिए जिससे वह गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा व पौष्टिक भोजन प्राप्त कर सके.....अन्यथा वर्तमान व्यवस्था में सुधार किया जाये.....
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